दिल का दर्द किसे दिखाए,
मन की बेचैनी किसे बताए।
काहाँ गया वो सपनो का शहर ,
ना जाने बिखर गया किस डगर।
लगी ये कैसी नजर टूट गए सपने,
पहर है ऐसी दूर होने लगे अपने।।
वक्त का जर्रा देखो किस्मत दूर भागती,
बदकिस्मती द्वार आती।
चारों ओर है गमो का राज,
सिर मे सजी कांटो का ताज।
काहाँ गया वो सपनो का शहर,
ना जाने बिखर गया किस डगर।।
*राजेन्द्र के बोल*
Very good yar
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Nice yar
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Thank you
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Very good
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Nice lines
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Thank you
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Nice poem
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Nice
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Niche sir
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